सुबह के सूर्य की रोशनी by Edward Hopper - १९५२ - १०१.९८ x ७१.५ से.मी. सुबह के सूर्य की रोशनी by Edward Hopper - १९५२ - १०१.९८ x ७१.५ से.मी.

सुबह के सूर्य की रोशनी

ऑइल ऑन कॅनवास • १०१.९८ x ७१.५ से.मी.
  • Edward Hopper - July 22, 1882 - May 15, 1967 Edward Hopper १९५२

मैं वास्तव में मानती हूं कि किसी ने भी आधुनिक आदमी के एकांत को ऐसे प्रस्तुत नहीं किया, जैसे उन्होंने किया था। साथ ही, उनकी पेंटिंग काफ़ी सिनेमाई हैं। शायद यही वजह है कि हम उनके इतने करीब महसूस करते हैं। सुबह के सूर्य की रोशनी  में महिला ने हॉपर की पत्नी जो की मॉडलिंग की है। वह धूप का सामना करते हुए अपने विचारों में खोई हुई है। सपाट दीवार और रास्ते के ऊपर के कमरे की ऊँचाई भी अवैयक्तिक शहरी जीवन के अंधकार एवं एकांत का सुझाव देती है।

हॉपर की शुरुआती सफलता का श्रेय जो को दिया जा सकता है, जो उनकी प्रबंधक भी थी। १९२४ में शादी के समय दोनों अपने ४० के दशक में थे। चित्रकार और अभिनेत्री जो, दोनों में से अधिक स्थापित थी। १९२३ में उन्हें ब्रुकलिन संग्रहालय में अमेरिकी और यूरोपीय कलाकारों की एक समूह प्रदर्शनी में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया था। वहाँ उन्होंने संग्रहाध्यक्ष को अपने पति के काम को भी शामिल करने के लिए प्रोत्साहित किया। नतीजतन, इस प्रदर्शनी में हॉपर के काम का पहला संग्रहालय अधिग्रहण हुआ था।

१९२३ से १९६७ में हॉपर की मौत तक, जो उनकी एकमात्र महिला मॉडल थी। हालांकि उन्होंने कभी भी अपने चित्रों को उनके चित्र नहीं माना। उन्हें बस "किसी भी महिला" के स्टैंड-इन के रूप में इस्तेमाल किया। सुबह के सूर्य की रोशनी  की पेंटिंग के समय, जो ६९ वर्ष की थी। फिर भी उन्हें एक आदर्श, युवा चित्रण में प्रस्तुत किया गया है।

अनुलेख: यहाँ हॉपर की कला में अकेलेपन पर कुछ और शब्द एवं कुछ सरगर्म चित्र हैं (और यहाँ प्रसिद्ध नाइटहॉक्स  पर बहुत सारे मीम्स हैं)। ;-)