सलीब से उतारना  by Jacopo da Pontormo - १५२८ - १२३ इन. x ७६ इन. सलीब से उतारना  by Jacopo da Pontormo - १५२८ - १२३ इन. x ७६ इन.

सलीब से उतारना

लकड़ी पे तेल • १२३ इन. x ७६ इन.
  • Jacopo da Pontormo - May 24, 1494 - January 2, 1557 Jacopo da Pontormo १५२८

जकोपो डा पोन्टोरमो फ्लोरेन्टीन शैली (इटली के शहर फ्लोरेंस से संबंधित) के एक इतालवी मैनेरिस्ट चित्रकार थे जो पोर्ट्रेट में माहिर थे| उनकी कृतियां फ्लोरेंटाइन पुनर्जागरण की कला को परिभाषित करने वाली सौम्य दृष्टिकोणीय नियमितता से गहन शैलीगत परिवर्तन का प्रतिनिधित्व करती हैं| वे अपनी कृतियों में  जुड़वाँ मुद्राओं के साथ में अस्पष्ट दृष्टिकोण के प्रयोग के लिए प्रसिद्ध हैं; उनकी आकृतियां अक्सर अनिश्चित वातावरण में तैरती हुई, गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से बेपरवाह सी प्रतीत होती हैं|

सलीब से उतारना  एक वेदी-चित्र (चर्च की वेदी के पीछे बनाया जाने वाला चित्र) है जो सलीब से येशु का उतारा जाना दर्शाता है| इसे व्यापक रूप से कलाकार का मौजूदा मास्टरपीस माना जाता है| और ये काफी गुलाबी है|

ये पेंटिंग शोक में डूबे लोगों के एक चक्करदार नृत्य सी प्रतीत होती है| वे सभी एक समतल जगह में समाये हुए हैं जो कि चटक सीमांकित रंगों के एक मूर्तरुपी जमावड़े से बनी है| रचना का भंवर, केंद्र से कुछ हटके, बायीं ओर पे येशु की शिथिल देह पर जाकर केंद्रित हो जाता है| जो मसीह को उतार रहे हैं वो येशु के शरीर का भार एवं उनके द्वारा सहे गए पापों के बोझ  के साथ अपना शोक सहन करने में हमसे सहायता मांगते से प्रतीत होते हैं| कोई सलीब नहीं दिखाई दे रही, सम्पूर्ण प्राकृतिक दुनिया भी लगभग अदृश्य सी प्रतीत हो रही है: एक अकेला बादल और एक सिलवट पड़ी हुई चादर के साथ धरती का एक आच्छादित टुकड़ा रुदन करने वालो के लिए अर्श एवं फर्श प्रदान कर रहे हैं| यदि आसमान और ज़मीन ने रंग खो दिया है तो विलपियों ने नहीं; गुलाबी एवं नीले की चटक पट्टियों ने फीके निर्जीव येशु को ढंक रखा है|

कहते हैं की पोन्टोरमो ने स्वयं को स्वचित्र के माध्यम से कैनवास के सबसे दाहिने भाग में अंकित किया था परन्तु अंततः, सर्वाधिक सम्मोहक एवं सशक्त आकृति अग्रभाग में झुके हुए व्यक्ति की है जिसके हाव भाव में येशु के शव का बोझ एवं उदासी का बोझ मिश्रित होकर दिख रहा है|

इस पेंटिंग की फरमाइश फ़िनलैंड से एलीना ने की थी :)