ज़ुर्बरन के देवदूत इतालवी व फ़्लेमशी चित्रकारों से अलग है। आकारिक सरलता, प्रभावशाली चित्रण और पुनीत गांभीर्य उनके देवदूतों की विशिष्ठा है। इसके साथ ही वे अपनी विषयों का ऐसे चित्रण करते हैं कि कलात्मक अभिनवता के बाद भी वे पारम्परिक प्रतीत होते हैं। इस चित्र में देवदूत माइकल तटस्थ पृष्ठदृश्य के आगे अकेले खड़े हैं। ज़ुर्बरन ने माइकल का चित्रण योद्धा की तरह ना करके एक संकेतधारक (या प्रतीक) के रूप में किया है। वे रूबेन, ग्वीडो लेनी और वैल्डेस लील के बरोक चित्रण से सहमत नहीं थे जिसमें माइकल को ध्वंसात्मक देवदूत के रूप में दर्शाया गया है। ज़ुर्बरन की यह संकल्पना उनके कलात्मक आदर्शों के अनुरूप है।
इस चित्र में माइकल की तीन-चौथाई आकृति और फैले हुए परों को चित्रित किया है। इस मनोहर रचना को बहुत बारीकी के साथ विशुद्ध रंगों से बनाया गया है। हालाँकि इसमें ज़ुर्बरन की विशिष्ट कृतियों की ramniyata नहीं है, ये चित्र उनके वैचारिक सिद्धांतों एवं गंभीरता का अच्छा उदाहरण है।चित्र में सुस्पष्ट प्रकाश-छाया चित्रण का प्रयोग है। लाल, हरे और गेरुए रंग का प्रयोग और वस्त्रों की रंग-विशुद्धता इस कलाकार की कलात्मक शैली की विशेषताएँ हैं।
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