लुइस वेल्डन हॉकिंस (1840 -1910 ) , जर्मनी में जन्मे कलाकार थे जिन्होंने 1895 में फ्रेंच नागरिकता ले ली थी। हॉकिंस ने पेरिस की जूलियन अकादेमी में कार्य किया और अपने कार्यों का प्रथम प्रदर्शन 1881 में सालों दे अर्तिस्ट्स फ्रांसे में किया था और उन्होंने ने रोज़ + क्रोई (Rose + Croix) के साथ भी सहकारिता में कार्य किया। हॉकिंस ने अपनी कृतियों में भांति भांति के अंदाज़ का प्रयोग किया , जिसमे एक पूर्व - राफैलवादी भी शामिल हैं पर उन्होंने बाद में प्रतीकवादी (सिम्बोलिस्म) की राह चुनी जिस की वजह उनका प्रतीकवादी लेखकों जैसे की मलार्मे या पूवी दे चवाने से गहरा रिश्ता था।
"घर पर" (फ्रेंच में, Le Foyer) चित्र जो है वो सुसंस्कृत प्रतीकवादी अंदाज़ का एक नमूना है। ये बेहतरीन परिदृश्य एक संकीर्ण , सीधे प्रारूप पर रंगा गया है। चित्र में एक आड़ी सीढ़ी चित्रित की गयी है जो देखने में चित्र के लम्बे स्वरूप को एक तरह से बाधित करती है। चित्र के अग्र भाग में पेड़ का तना जो फ्रेम के बायीं ओर आधा चित्रित किया गया है ये देखने वाले को छुपे हुए दर्शक के अंदाज़ में रखता है। आंखें सीधा चित्र की पृष्टभूमि में दीवार पर पड़ती हैं जो चित्र के पृष्ठ भाग को भर देती है। चित्र में जो धुंधली रौशनी है वो भोर के समय की है। खिड़की में एक लौ अपनी ओर ध्यान आकर्षित करती है। क्या ये मोमबत्ती है या चिमनी ? फूलों का एक गमला जो खिड़की के किनारे पर रखा है जो इस चित्र के रहस्य को और भी उभरता है। इस चित्र स्थल और छोटे से घर से चित्र में एकांकीपनता और तटस्तथा के भाव को और भी सुदृढ़ करता है, हालांकि उस लौ के होने से किसी इंसान की उपस्तिथि का अनुमान भी हमें होता है। देखने वाले की उत्सुकता की भावना, जो इस शांत घर के चित्रण की आत्मीयता को भी तोडना चाहता है, ऐसा ही कुछ दृश्य मैगरिये द्वारा चित्रित "एम्पायर ऑफ़ लाइट" में भी मिलता है जहाँ रौशनी और इमारत का ऐसा ही इस्तेमाल किया गया है।
-टोनी गौपिल
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