परम आनंद (सुबह की प्रार्थना) by Norbert Strassberg - 1935 - 85 x 62  सी.मी परम आनंद (सुबह की प्रार्थना) by Norbert Strassberg - 1935 - 85 x 62  सी.मी

परम आनंद (सुबह की प्रार्थना)

कागज़ पर स्याही , गत्ता • 85 x 62 सी.मी
  • Norbert Strassberg - 1912 - 1941 Norbert Strassberg 1935

नॉर्बर्ट स्ट्रैसबर्ग (1911-1941) का जन्म एक गरीब यहूदी दर्जी परिवार में हुआ था। उन्होंने राजकीय औद्योगिक स्कूल से शिक्षा प्राप्त करी जहां उनकी प्रतिभाओं को एक उत्कृष्ट पोलिश चित्रकार और लेखाचित्र कलाकार काज़िमीरज़ शीज़ुलस्की ने पहचाना और स्ट्रैसबर्ग का मार्गदर्शन भी किया। उन्होंने लविव शहर की मुक्त ललित कला अकादमी से भी पढ़ाई पूरी करी। क्रॉकोफ शहर में रहते हुए उनकी मुलाकात स्टोनिसलॉ शुकाल्स्की से हुई जिन्होंने श्जेप रोगेट सरसे नामक कलात्मक समूह की स्थापना करी एवं अपने छात्रों को स्लाव और गैर-ईसाई पौराणिक संस्कृति की ओर प्रेरित किया था l शुकाल्स्की से जान-पहचान एवं उनके कलात्मक समूह में सक्रिय रूप से काम करने से स्ट्रैसबर्ग की प्रतिभा और कला को बढ़ावा मिला l इतिहास और साहित्य उनके प्रेरणा स्रोत थे l उन्होंने धार्मिक और बाइबिल के रूपांकनों से प्रेरणा ली।

स्ट्रैसबर्ग ने आम जान-जीवन के दृश्य बनाने के लिए काली स्याही या पेंसिल का प्रयोग किया l उन्होंने अपनी कला में छोटे शहरों के यहूदी विद्यालयों में पढ़ रहे छात्रों को दर्शाया l छायाचित्र का अध्ययन उनके कार्यों का सबसे महत्वपूर्ण भाग है; उन्होंने आम लोगों के चित्र बनाये और अज्ञात पुरुषों के सिरों को दर्शाया।

उनकी विशाल कलात्मक रचनाओं में एक चित्र अनूठा है: चित्र में एक जैसे दिकने वाले दो युवा यहूदी पुरुषों को दर्शाया है जिन्होंने माथे और दाहिनी बांह पर टेफिलिन (चमड़े से बना काले रंग का बॉक्स जिसमे टोराह लिखा हुआ है) पहना हैं और जिन्हें परम धार्मिक आनंद (1935) का अनुभव हो रहा हैं l यह चित्र यहूदी शास्त्रों के विपरीत है क्योंकि टेफिलिन बाईं बांह पर पहना जाता है ताकि वह हृदय के करीब रहे l ऐसा प्रतीत होता है जैसे युवक बाएं हाथ का इस्तमाल करता है। शायद यह दोनों छायाचित्र स्वयं कलाकार के ही हैं। यह चित्र उनकी कला शैली को दर्शाता है- एक युवक की दाईं रूपरेखा पर तेज़ रौशनी है और दूसरा युवक पृष्ठभूमि के अँधेरे में छिपा हुआ है l यह चित्र, इसकी तिरछी रचना और तेज़ी से फैलाए रंग एक आंतरिक शक्ति और ऊर्जा का संकेत दे रहें हैं l ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे यह चित्र गत्ते से बानी हुई अपनी चौखट से बहार निकल रहा हो।

- टेरेसा शमैचोव्स्का

अनुलेख. आप डेलेट पोर्टल पर और यहूदी कला देख सकतें है और शार्लट सालोमोन की कहानी पढ़ सकतें हैं जो एक उत्कृष्ट यहूदी महिला कलाकार थीं।