हम अपना विशेष माह विएना के कुंस्थीस्टोरिस्चेस म्यूजियम के "कारवग्गिओ एवं बेर्निनी" प्रदर्शनी के साथ २० जनवरी, २०२० तक जारी रखेंगे I यह वाकई देखने लायक है, यहाँ जाने से न चुकें I और अगर आप विएना नहीं जा सकते तो हमें इस महीने रविवार को पढ़े :)
हालाँकि इस मेडुसा का फिलिप्पो बलदिनुक्की और डोमेनिको बेर्निनी के शुरुआती अभिलेखों में जिक्र नहीं है लेकिन शैली और जिस साहस से जंगली छटपटाते सर्पों को सर पर तराशा गया है और जितनी चतुराई से संगमरमर की परिकल्पना में 'एक घोर श्लेषालंकार' का प्रयोग है, ये सब बहुत दृढ़ता से बेर्निनी के रचनाकारिता की ओर इंगित करते हैं I
राक्षसी मेडुसा के केश सर्पों का घोंसला थे और जो उसकी ओर देखता वो पत्थर बन जाता I पर्सियस उसके घातक शक्ति से उसके तरफ परोक्षतः अपनी चमकदार ढाल की धातु पर देख बच पाया I इस तरह सुरक्षित रहते हुए पर्सियस ने मेडुसा का उसकी नींद में सर कलम कर दिया I
बेर्निनी की अर्ध प्रतिमा, पर्सियस द्वारा इस गोर्गोन का अंत करने से पूर्व मेडुसा का कठोर सर दर्शाती है I कलाकार यहाँ कारवग्गिओ की मायावी ढाल और मेडुसा की भयावह स्वरुप से उतने प्रभावित नहीं हैं जितना की इस घटना के गियमबटिस्टा मारिनो की गलेरिआ (१६१९) में काव्यात्मक वर्णन से I कवि ने स्वयं मेडुसा के शब्दों के प्रयोग से मूर्तिकार को उसके भय को अपना विषय बनाने हेतु आमंत्रित किया है:
'मुझे नहीं मालूम मुझे किसी नश्वर छेनी ने तराशा था या साफ़ दर्पण में झाकते खुद अपनी दृष्टि से यूँ बन गयी I' मारिनो को बेर्निनी की प्रतिक्रिया तकनीकी कला प्रवीणता और प्राणशक्ति का प्रदर्शन है, इसे दर्शकों में भी वैसी ही स्तब्धता उत्पन्न करने के लिए बनाया गया है I उन्होंने अपनी छेनी मारिनो के सोनेट के एक अन्य पंक्ति पर भी चलाई है जिसमे मेडुसा पाठकों को आगाह करती है की उसकी कलाकृति- एक संगमरमर का चेहरा भी दर्शक को पत्थर में तब्दील कर सकती है I अतः बेर्निनी ने कम से कम जो जानते हैं उनके लिए दो सहकलाओं में प्रतिद्वंदिता पेश की: उत स्कूलटुरा पोएसिस, काव्य एक बोलती प्रतिमा के रूप में और प्रतिमा एक मूक काव्य के रूप में I
इतालियन लेखक और सिद्धांतवादी, सीज़र रिपा मेडुसा को द्वेष और उसके सर्पों को कुटिल ह्रदय में उत्पन्न कुत्सित विचारों से जोड़ते हैं, अतः इस प्रतिमा को द्वेषपूर्ण प्रलाप का अंत और प्रज्ञ विवेक के विजय के चिह्न के रूप में भी पढ़ा जा सकता है I बेर्निनिनी के लिए इसका महत्व और निकटतम और निजी हो सकता उनके कोस्टांजा पिक्सोलोमिनी (बोनारेल्ली) के साथ के प्रेम प्रसंग के १६३८ में अचानक अंत के सन्दर्भ में क्यूंकि पिक्सोलोमिनी के नैन नक्श साफ तौर पर मेडुसा से मिलते जुलते थे I इस सूरत में यह मूर्ति १६३८-४० के करीब कोस्टांजा के कोमल अर्ध प्रतिमा के कोन्त्रप्पोस्तो मुद्रा में बनाई गयी होगी I
पी.एस. यहाँ देखे इतिहास के ५ सबसे मशहूर मेडुसा के सर के चित्रों को I सुन्दर और डरवाने एक साथ !