हाल ही में स्टॉकहोल्म के नेशनलम्यूजियम ने लुइस XVI के दरबार के प्रमुख कलाकार, जोसफ डुक्रेक्स के दो मुखाकृति विज्ञान विषयक स्वयं की पोर्ट्रेट हासिल की I डुक्रेक्स की तस्वीरें प्रकृतिवाद का खासा प्रभाव दर्शाती है और चेहरे की विशिष्ट भाव भंगिमा या मनोदशा को कैद करने की कलाकार की क्षमता दिखाती है I
शाही परिवार से निकटता, खास कर के रानी से निकटता की वजह से १७८९ में फ़्रांसिसी क्रांति की दौरान डुक्रेक्स खतरें में आ गए I इसलिए १७९१ में वे कुछ समय के लिए लंदन में निवास करने लगे I इस काल से डुक्रेक्स के जीवन के कुछ ही तथ्य ज्ञात हैं, मगर हम जानते हैं की उन्होंने पोर्ट्रेट और स्वयं के पोर्ट्रेट रॉयल अकादमी ऑफ़ आर्ट्स में प्रदर्शित किये जिसमे दो सरप्राइज मिक्सटे विथ टेरर एंड सरप्राइज शामिल थे I बहुत संभव है की नेशनलम्यूजियम द्वारा हासिल किये गए दोनों पोर्ट्रेट में से एक पहली कृति का बाद का संस्करण है जिसे लंदन में प्रदर्शित किया गया I कलाकार के चेहरे के भाव अतिरंजित आश्चर्य मिले भय से ओत प्रोत है जैसे बड़ी आँखे, खुले मुख और नाटकीय रूप से बढ़े दाये हाथ से प्रतीत हो रहा है I इसमें कोई शक नहीं है की ये स्वयं के पोर्ट्रेट हैं, मगर उनके शीर्षक जिस भाव की व्याख्या करते हैं जैसे आश्चर्य यह दर्शाते हैं की वे मुखाकृति विज्ञान पर भी केंद्रित है I
डुक्रेक्स की मुखाकृति विज्ञान में रूचि उनके समय को दर्शाती है और अमूमन मनपसंद वैज्ञानिक विषय विशदीकरण को सूचित करते हैं I मुखाकृति विज्ञान को स्वयं की पोर्ट्रेट के साथ जोड़ कर इस कलाकृति ने पोर्ट्रेचर में नई दिशा का आधार भी रखा I डुक्रेक्स ने खुद की छवि में उन भावों को कैद करने का प्रयास किया है जो रोज़ हम आसपास देखते हैं I शायद यह आश्चर्यजनक नहीं है की डुक्रेक्स की स्वयं की इस प्रकार की एक स्वयं की पोर्ट्रेट एक मशहूर ऑनलाइन मीम बन गई है, जो खुद में कलाकार की कालनिर्पेक्ष चंचलता और प्रयोग करने की चाह को दर्शाती है I
पि.इस. और यहाँ आप फ़्रांस हॉल्स के साथ मुस्कराने के नौ कारण पाएंगे :-)