इंडियन समर by Józef Chełmoński - १८७५ - १५६ x ११९.५ से.मी. इंडियन समर by Józef Chełmoński - १८७५ - १५६ x ११९.५ से.मी.

इंडियन समर

ऑइल ऑन कॅनवास • १५६ x ११९.५ से.मी.
  • Józef Chełmoński - November 7, 1849 - April 6, 1914 Józef Chełmoński १८७५

आज हम वारसॉ में स्थित राष्ट्रीय संग्रहालय के संग्रह के साथ अपना महीना जारी रखते हैं। इसका आनंद लें:)

इंडियन समर  पोलिश रियलिस्ट आंदोलन की एक अभिव्यक्ति है। म्युनिक के कला अकादमी से कलाकार की वॉरसॉवापसी के कुछ समय बाद ही जोज़ेफ चेलमोन्सकी का यह शुरुआती काम था। उस समय, चेलमोन्सकी ने ग्रामीण जीवन की अपनी विस्तृत टिप्पणियों को यूरोपीय होटल में स्थित एक स्टूडियो में चित्रित किया। यह स्टूडियो जिसे उन्होंने दोस्तों के साथ साझा किया था, उसे रियलिस्ट फोर्ज करार दिया गया। इसने कला से संबंधित सभी चीजों पर चर्चा के साथ एक रचनात्मक वातावरण प्रदान किया।

इंडियन समर  के साथ चेलमोन्सकी का इरादा ग्रामीण इलाकों और उनके लोगों की ताकत का चित्रण करना था। रचना के केंद्र में एक देसी लड़की है जिसने एक सामान्य यूक्रेनी पोशाक पहनी है। वह एक चरागाह के बीच में फैलकर लेटने के साथ हवा में एक पतला सा तार पकड़ी हुई है। हम पास बैठे काले कुत्ते को तुरंत देख सकते हैं जिसने झुंड को देखने के लिए अपनी पीठ को दर्शक की ओर मोड़ लिया है। यह कुत्ते की लगन है जो लड़की को अपने विचारों में बह जाने और क्षणभंगुर गर्मियों की यादों में खोने देता है। सूखी घास और बादल रहित आकाश को उज्ज्वलित करने वाली सूर्यकिरण सितंबर की शांत दोपहर को उजागर करती है। क्षितिज पर मानव और जानवरों के आंकड़े यूक्रेनी स्टेपे की विशालता को और बढ़ाते हैं। यह कलाकार बचपन से ही यूक्रेन से मोहित थे और उन्होंने मानव रहित प्रकृति कि खोज में कई बार इस जगह कि यात्रा की थी।

इस पेंटिंग ने आलोचकों द्वारा अस्थिर टिप्पणी और सवाल खड़े किए गए कि एक गंदे पैर वाली किसान लड़की की पेंटिंग को किसी कमरे या संग्रहालय की दीवार पर क्यों लगानी चाहिए? इन आलोचनाओं ने कलाकार के पेरिस स्थानांतरित करने के निर्णय को सदृढ़ किया, जहां उन्होंने अगले बारह वर्षों तक रहकर अपना काम किया। चेलमोन्सकी के स्मृति से चित्रित पोलिश बॉर्डरलैंड्स के  सहज ग्रामीण दृश्यों को पेरिस - दुनिया की कला राजधानी - में सराहना मिलने के साथ उन्हें बड़ी वित्तीय सफलता भी मिली।

इंडियन समर  को १४ साल बाद वह पहचान मिल ही गई जिसका वह हकदार था। इसकी कलात्मक मूल्य पहली बार इग्नेसी कोरविन-मिल्वस्की द्वारा देखी गयी थी, जिन्होंने १८८९ में अपने उत्कृष्ट संग्रह के लिए इस को पेंटिंग ख़रीदा था। पैंतीस साल बाद, इस कैनवास को वारसॉ में स्थित राष्ट्रीय संग्रहालय द्वारा खरीदा गया और तुरंत गैलरी ऑफ़ पोलिश पेंटिंग का एक कॉलिंग कार्ड बन गया। आज, इंडियन समर  यकीनन चेलमोन्सकी की सबसे ज़्यादा पहचाने जाने वाली पेंटिंग है।

यह पेंटिंग हमेशा मुझे तनावमुक्त और खुश महसूस कराती है। आज डेलीआर्ट के ८ वें जन्मदिन के हमारे उत्सव का आखिरी दिन है :) इसके अलावा यह एक विशेष सौदे का अंतिम दिन है - डेलीआर्ट प्रो का आज सामान्य $ ५.९९ के बजाय $ २.९९ होगा। बस अपग्रेड टू प्रो  बटन पर टैप करें और हमारे आर्काइव, फ़ेव्स, सर्च के पूर्ण उपयोग का आनंद लें और विज्ञापनों से हमेशा के लिए छुटकारा पाएं! :) इसके अलावा, डेलीआर्ट मैगज़ीन और हमारे सोशल मीडिया (इंस्टाग्राम, ट्विटर और फेसबुक) पर हमारी विशेष सुविधाओं को देखना न भूलें। हमारा साथ देने के लिए धन्यवाद <3

अनुलेख: क्या कहीं भी जाने के लिए बहुत गर्मी हो रही है? यहाँ हीटवेव से पार पाने के लिए अन्य चित्रों को देखें!