१८५० के दशक के इस नग्न अध्ययन को अमालिया लिंडग्रेन द्वारा चित्रित किया गया था। वह यूरोप की पहली महिला थीं जिन्हें १८५० में विदेश में कला का अध्ययन करने के लिए राज्य यात्रा छात्रवृत्ति से सम्मानित किया गया था। वह स्टॉकहोम में पैदा हुई थीं। मारिया रोहल की तरह ही उन्होंने प्रारंभिक प्रतिभा प्रदर्शित कर चित्र बनाना और बेचना शुरू किया था। उन्होंने १८३९ में ऑइल पेंट इस्तेमाल करना शुरू किया था। १८४२ में वह सोफिया एडलरस्पेरे की छात्रा बनीं और अगले वर्ष ही अपनी पहली प्रदर्शनी में भाग लिया था।
१८४६ में उनके चित्रों को देखकर कलाकार और कला शिक्षक कार्ल गुस्ताफ़ क्वांस्ट्रोम (१८१० - १८६७) प्रभावित थे। उनके संपर्कों के माध्यम से उन्होंने अमालिया को १८४९ में रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ आर्ट्स में छात्रों के रूप में स्वीकार की गई चार महिलाओं में से एक बनाया। अन्य तीन महिलाओं में ली अहलबोर्न, एग्नेस बोर्जेसन और जीनत मोलर शामिल थीं। उस समय महिलाएँ एकेडमी में किसी ख़ास व्यवस्था द्वारा ही अध्ययन कर सकती थीं। १८६४ के पहले तक महिला छात्राओं को औपचारिक रूप से पुरुष छात्रों के समान एकेडमी में अध्ययन करने के लिए स्वीकार नहीं किया जाता था। वह १८५० में पेरिस में कला का अध्ययन करने के लिए अकादमी द्वारा छात्रवृत्ति पाने वाली पहली महिला छात्रा बनीं। बाद में उन्होंने म्यूनिख में अल्टे पिनाकोथेक और १८५४ - ५५ में रोम में अध्ययन किया। १८५६ में स्वीडन लौटने से पहले १८५६ में पेरिस की विश्व प्रदर्शनी में भाग लिया था। हम आज की पेंटिंग को स्वीडन में स्थित नेशनलम्यूजियम की बदौलत प्रस्तुत कर रहे हैं।
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अनुलेख: यहाँ १० सबसे प्रसिद्ध महिला कलाकारों के स्व-चित्र हैं जो बेहद ही कमाल के हैं!