जोहान विल्हेम शर्मर १९ वीं शताब्दी के जर्मनी में लैंडस्केप पेंटिंग के महान नवप्रवर्तकों में से एक थे। वह अपने तेल अध्ययनों में प्रकृति को लुभावने तरीके से चित्रित करने में सक्षम थे। १८३६ में बनाया गया उनका प्रारंभिक समुद्री अध्ययन नॉरमैंडी के तट पर चलते समुद्र को दिखाता है जिसमें समय को कैद किया गया है। फोटोग्राफिक तकनीकों को सार्वजनिक होने में तब तीन साल का समय था। इस चित्र की सामीप्य से की गई फ्रेमिंग प्राकृतिक तमाशे की तीव्रता पर जोर देती है। अग्रभूमि और दाईं ओर की चट्टान पर पड़ने वाली हरी - भूरी लहरें और प्रचुर झाग, न्यूनतम लेकिन प्रभावी ढंग से रचना को अभिव्यक्त करती है। पानी को देखने का कोण इतना करीब और खड़ा है कि आँखों को क्षितिज पर केवल आकाश की असामान्य रूप से छोटी पट्टी दिखाई देती है।
शर्मर की यह पेंटिंग समान भ्रमपूर्ण अध्ययनों की एक श्रृंखला का हिस्सा है, जो उनकी महान कलात्मकता को प्रकट करती है। भूवैज्ञानिक संरचनाओं, पानी और प्रकाश के विभिन्न स्थितियों को ईमानदारी एवं बारीकी से पुन: चित्रित करने की उनकी प्रतिभा के अलावा, दो अन्य पहलू यहाँ महत्वपूर्ण हैं। सबसे पहले है उनकी अवलोकन की संवेदनशील शक्ति, जो उनकी आंखों को प्रशिक्षित करने के लिए उन्हें निरंतर प्रकृति में ले जाती थी। और दूसरी बात, अमूर्तता की एक विशाल बौद्धिक शक्ति, जो समुद्र के अध्ययन में विशेष रूप से स्पष्ट हो जाती है। प्रकृति के सामने पेंटिंग करते समय, कलाकार बारी-बारी से आकृति और अपने पेंटिंग कार्डबोर्ड पर देखता है। इस मामले में, शर्मर किनारे पर खड़े रहकर लहरों को तेज़ी से लुढ़कते हुए देख रहे थे। हर बार जब उनकी नज़र तस्वीर से ऊपर उठती, लहरों की स्थिति बदल जाती थी। इस प्रकार शर्मर ने अपनी आँखों से अनगिनत क्षणों को कैद किया। अंततः यह छवियाँ प्रभावशाली और सम्मोहक रूप से प्रकृति की एक छोटी पेंटिंग में इकट्ठे हो गए, जो हमें एक ही पल लगता है।
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तटीय लहरें के साथ क्षितिज पर स्थित जहाज़
ऑइल ऑन कॅनवास • ३०.५ x ४३.४ से.मी.