एक बाघ को ज्यादा कुछ नहीं डराता, लेकिन यहाँ जंगल के तूफान में अटका हुआ वह मात्र एक जीव है। वह बारिश एवं बिजली से छुपने की कोशिश कर रही है और उसके चारों तरफ तेज़ हवाएँ चल रही है। उसकी आँखें चौड़ी हैं, लेकिन यह उसकी मानवजनित अभिव्यक्ति है (विशेष रूप से मुँह) जो हमें दिखाता है कि वह भ्रमित और डरी हुई है।
हमेशा की तरह, रूसो (१८४४ - १९१०) ने अपने जंगल में स्थानिक गहराई की छाप देने के लिए कई परतों का उपयोग किया है। उन्होंने बारिश, बिजली और उड़ने वाले पत्ते के कोण का मिलन भी किया है ताकि हमें जबरदस्त तूफान की दिशा का अंदाज़ा हो सके। दिलचस्प बात यह है कि बाघिन इसके विपरीत, मौसम के साथ आगे बढ़ रही है: क्या उसे आश्रय मिलेगा या वह तत्वों की दया पर रहेगी?
एक भोले कलाकार के रूप में शुरूआत करते हुए रूसो का उनके समकालीनों द्वारा इतने अच्छे से स्वागत नहीं किया गया था। उन्होंने किसी भी प्रकार की औपचारिक शिक्षा प्राप्त नहीं थी की। इसलिए उन्होंने उस समय के कलाकार होने की आवश्यकताओं को पूरा नहीं किया था। उन्हें लगा शायद वह भी अपने सुंदर एवं भयभीत बाघिन की तरह ऐसी स्थिति में फँस गए हैं जिसे वह हल नहीं कर पा रहे हैं।
- सारा मिल्स
अनुलेख: आइए एक बाघ की सवारी करते हैं! यहाँ हेनरी रूसो के साथ विदेश की सैर करें! <३


एक उष्णकटिबंधीय तूफान में बाघ (आश्चर्यचकित!)
ऑइल ऑन कॅनवास • १२९.८ x १६१.९ से.मी.