चार्ली तूरोप ने अपने पिता जान तूरोप से पेंटिंग का पेशा सीखा था। शुरुआत में उन्होंने क्यूबिस्ट और एक्सप्रेशनिस्ट स्टाइल में काम किया। १९३० के दशक के शुरुआती दिनों में उन्होंने अपनी शैली की खोज की थी, जिसमें एक आदर्श यथार्थता का निर्माण होता था। वह तेजतर्रार आकार और अभिव्यंजक रंगों के साथ शक्तिशाली यथार्थवाद था।
१९४७ से उन्होंने हर वसंत में एक फलदार पेड़ और हर शरद ऋतु में सेब या नाशपाती के साथ एक पेड़ को चित्रित किया था। इस तरह उन्होंने ऋतुओं और जीवन के चक्र का दस्तावेजीकरण करने की कोशिश की थी। सेब का पुराना पेड़ खिलते हुए की तारीख १९४९ की है। उस समय चार्ली को दूसरा स्ट्रोक आया था। इसके बाद वह आंशिक रूप से पंगु बन गयी थी। उन्हें बात करने में भी कठिनाई होती थी। जबरदस्त दृढ़ता के साथ उन्होंने यथासंभव काम करने की कोशिश जारी रखी।
उन्होंने पेड़ों के साथ स्थिर - चित्रण की एक बड़ी श्रृंखला बनाई थी। प्लेटों, सुराही, बोतलों और मोज़री को भी चित्रित किया था। इनमें से कई स्थिर - चित्रों में कोणीय एवं सादगी भरी प्रस्तुति है। लेकिन सेब का पुराना पेड़ खिलते हुए उल्लेखनीय रूप से काव्यात्मक और अभिव्यक्तिवादी है। उन्होंने स्पष्ट रूप से विन्सेन्ट वैन गो द्वारा चित्रित खिलते पेड़ों से प्रेरणा ली है, जिनकी उन्होंने बहुत प्रशंसा की थी।
यदि आप वैन गो को तूरोप जितना ही चाहते हैं, तो कृपया हमारे वैन गो नोटबुक को यहाँ देखें। :)
हम आज के कार्य के लिए अपने पसंदीदा क्रोलर-म्यूएलर संग्रहालय को धन्यवाद प्रस्तुत करते हैं। <3
अनुलेख: कला में १० सबसे सुंदर कलात्मक फूलों की व्यवस्था आपको यहाँ मिलेगी।


सेब का पुराना पेड़ खिलते हुए
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