यह कृति सभी मिकालोइस कोंस्टेंटिनस चर्लियोंनिस के पेंटिंग्स में सबसे बड़ी है। यह उन सभी विषयों को एकजुट करती है जिन्हें उन्होंने एक चित्रकार के रूप में खोजा था: द्वैत, सभी ब्रह्मांड के शासक, भगवान की विभिन्न अवधारणाएं, प्रकृति के सभी तत्व और काल्पनिक तत्व। इस पेंटिंग में चर्लियोंनिस इस बात की पड़ताल करते हैं कि ब्रह्मांड में क्या शामिल है, जिसमें प्रकृति के तत्व जैसे आग (मध्य निचले आधे हिस्से में अग्नि वेदी), पानी (पृथ्वी का महासागर), पृथ्वी (पृथ्वी ग्रह) एवं वायु (बादल) शामिल हैं। पेंटिंग यहीं नहीं रुकती, बल्कि यह इस बात की भी पड़ताल करती है कि सांसारिक दुनिया से परे क्या है।
देवदूत रात के आकाश को घेरे हुए हैं जो चंद्रमाओं और धूमकेतुओं से भरा हुआ है। ये चित्रकार के खगोल विज्ञान के प्रति आकर्षण से प्रेरित हैं। ऐसा लगता है कि हर दुनिया एक बड़ी दुनिया का हिस्सा है। जितने ध्यान से आप पेंटिंग को देखेंगे, उतनी आपको ज्ञान की नई परतें मिलती हैं। पेंटिंग का स्तंभ ब्रह्मांड का माना शासक है। पेंटिंग में वास्तव में दो शासक हैं, दो राजा हैं- एक छोटा और हल्का, और दूसरा बड़ा और गहरा। इसके साथ ही प्रकाश/अंधेरा, सूर्य/चंद्रमा, और अग्नि/जल रूपांकनों, जीवन के द्वंद्व का प्रतीक हैं।
हम आज के काम के लिए एम.के. चर्लियोंनिस राष्ट्रीय कला संग्रहालय को धन्यवाद देते हैं। :)
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ऑइल ऑन कॅनवास • ७४ x ६१.६ से.मी.