क्या किसी को गर्मियों के मौसम की याद आ रही है? आज, चलिए एक बहुत शांतिमय स्थान पर चलते हैं।
ज्यौं-लुई फोरां ने प्रारंभ में अपनी पहचान व्यंग्यचित्रों से बनाई, जो कई फ्रेंच अखबारों एवं पत्रिकाओं में छपते थे; और अपने पेशे के शुरुआत में वह अपने छपाई-चित्र, रेखाचित्र, जलरंग-चित्र और पेस्टल-रंग चित्र के काम के लिए जाने जाते थे। उनका विषय-सार अधिकतर पेरिस के रंगीन रात्रिकाल के मनोरंजक जीवन से लिया होता था, साथ ही अपने दोस्त और उपदेशक, डेगा के साथ बैले के प्रति सम्मोहन, दिलचस्पी में भी वह सहभागी थे। 1880 की दशक में, फोरां नियमित रूप से तेल के रंगों से पेंट करने लगे, और फिर 1879, 1880, 1881 और 1886 की इंप्रेशनिस्ट (प्रभाववादी) कला प्रदर्शनियों में भाग लिया।
इस नाटे, गठीले मछुआरे को किसी समय पर डेगा के मित्र, डिएगो मार्टेली माना जाता था। उसका विनोदपूर्वक चित्रण किया गया है, एक सुस्थिर, शांत नदी के ऊपर लटके लंबे तख्ते के आखिरी छोर पर, अपनी छड़ी और कुत्ते संग, अस्थिर संतुलन बनाए हुए। विशेषकर, यह कृति संध्या के समय लुप्त होती रोशनी के विचारोत्तेजक वातावरण को दर्शाती है। इस रचना में निर्भीक, दबंग, तकरीबन रेखा-गणितीय सादगी पॉल सेज़ां के प्रभाव को प्रतिबिंबित करती सी प्रतीत होती है, वह फोरां के मित्र भी थे।
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पी.एस. इस कृति में, फोरां ने अपने मूल -विषय के प्रति एक अद्वितीय दृष्टिकोण प्रदर्शित किया है, जिसे लगभग एक अमूर्त पृष्ठभूमि पर प्रस्तुत किया गया है। एक नजर डालिए, एक और अद्वितीय प्रभाववादी की कला पर, गुस्ताव कैलबौट ।